चौंक गयी अदालत जब जिंदा युवक का मृत्यु प्रमाण पत्र उसके बीस साल पहले मरे पिता से हुआ पेश

पुलिस एक जिंदा शख्स का मृत्यु प्रमाण पत्र ले आई और वो भी उसके उस पिता से, जिन्हें गुजरे 20 साल से ज्यादा हो चुके। दरअसल, मंगलवार को पटियाला हाउस स्थित हरज्योत सिंह भल्ला की अदालत में सड़क दुर्घटना के एक मामले की सुनवाई चल रही थी। मामले में पुलिस ने जिस व्यक्ति का मृत प्रमाण पत्र अदालत के रिकॉर्ड में लगाया था, वह स्वयं कोर्टरूम में खड़ा था।

चौंक गयी अदालत जब जिंदा युवक का मृत्यु प्रमाण पत्र उसके बीस साल पहले मरे  पिता से हुआ पेश

कभी कभी कुछ केसेस अदालत में ऐसे आ जाते है जिन्हे देख और सुन कर अदालत भी हैरान रह जाती है और कुछ कृत्य ऐसे होते भी हैं, जिन पर जितना माथा पीटा जाए उतना कम। ऐसा ही एक केस हाल ही में दिल्‍ली की अदालत में उजागर हुआ। इस मामले में पुलिस एक जिंदा शख्स का मृत्यु प्रमाण पत्र ले आई और वो भी उसके उस पिता से, जिन्हें गुजरे 20 साल से ज्यादा हो चुके। दरअसल, मंगलवार को पटियाला हाउस स्थित हरज्योत सिंह भल्ला की अदालत में सड़क दुर्घटना के एक मामले की सुनवाई चल रही थी। मामले में पुलिस ने जिस व्यक्ति का मृत प्रमाण पत्र अदालत के रिकॉर्ड में लगाया था, वह स्वयं कोर्टरूम में खड़ा था।

इस व्यक्ति ने अपना आधार कार्ड भी अदालत के समक्ष पेश किया और अपनी जीवित होने की बात कही। मामले में पुलिस ने अदालत में तफ्तीश रिपोर्ट पेश करते हुए नरेंद्र कुमार नामक व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कराया था। अदालत ने धोखाधड़ी के तहत मामले की जांच के आदेश दिल्ली पुलिस उपायुक्त को दिए हैं।

अदालत कागजों में मृत परंतु वास्तविकता में जीते-जागते व्यक्ति को सामने खड़ा देखकर चौंक गई। अदालत ने कैंट थाना पुलिस से पूछा कि उन्हें यह मृत्यु प्रमाण पत्र कहां से मिला। इस पर पुलिस ने कहा कि मृतक के पिता ने उन्हें यह प्रमाण पत्र दिया था। जबकि इस व्यक्ति का कहना था कि उसके पिता की मृत्यु वर्ष 1998 में हो चुकी है। यह दुर्घटना 2019 की है। फिर पिता मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे दे सकते हैं।

नरेंद्र कुमार ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने उसकी मृत्यु संबंधी दस्तावेज गलत दाखिल किया है। इस व्यक्ति ने अपना आधार कार्ड भी न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। जिसमें पिता का नाम व अन्य जानकारी भी उल्लिखित थी।

अदालत ने इस तथ्य के सामने आने के बाद आदेश दिया कि नरेन्द्र कुमार अथवा उनकी मां की मृत्यु को लेकर अगर किसी भी पक्षकार द्वारा मुआवजा दावा दाखिल किया गया हो तो मुआवजा राशि जारी ना की जाए।