सरकार ने दिया ये अलर्ट- बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, अंधेरे में डूबे कई गांव, जानिए क्या है वजह

प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजलीकर्मियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है. हड़ताल की वजह से चंदौली में कर्मचारियों ने बिजली भी काट दी. जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर, नक्सल प्रभावित नौगढ़ इलाके के साथ ही जिले के विभिन्न इलाकों में विद्युत आपूर्ति ठप कर दी गई है,जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

सरकार ने दिया ये अलर्ट- बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, अंधेरे में डूबे कई गांव, जानिए क्या है वजह

उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग में काम करने वाले संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं. 23 साल बाद ऐसा प्रदेशव्यापी हड़ताल सामने आया है, जिसकी वजह से कई गांव अंधेरे में पूरी तरह से डूब गए हैं. लोग इसकी वजह से परेशान हैं. 
अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं बिजली विभाग के कर्मचारी 72 घंटे के हड़ताल पर चले गए हैं. गुरुवार को ऊर्जा मंत्री के साथ उनकी वार्ता से भी कोई नतीजा नहीं निकला. हड़ताल का असर प्रदेश के कई जिलों में देखने को मिला. 
प्रदेश सरकार बिजली कर्मचारियों के रवैये को देखते हुए सख्त रुख अपना लिया है. सरकार ने काम पर नहीं आने वाले संविदाकर्मियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत एक्शन लेने की चेतावनी दी है. 
हड़ताल की अपील करने वाली 'विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति' के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि प्रदेश के करीब एक लाख बिजलीकर्मियों ने आज रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, 'आनपारा, ओबरा, पारिछा और हरदुआगंज विद्युत संयंत्रों में रात्रि पाली के सभी शत प्रतिशत कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता हड़ताल पर चले गए हैं. ताप बिजली घरों में रात्रि पाली में शत प्रतिशत हड़ताल हो गई है.' प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजलीकर्मियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है. 
हड़ताल की वजह से चंदौली में कर्मचारियों ने बिजली भी काट दी. जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर, नक्सल प्रभावित नौगढ़ इलाके के साथ ही जिले के विभिन्न इलाकों में विद्युत आपूर्ति ठप कर दी गई है,जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. एसडीएम अविनाश कुमार की मानें तो जल्द से जल्द विद्युत व्यवस्था बहाल कर दी जाएगी. आक्रोशित विद्युत कर्मी पावर हाउस के कई कमरों में ताला बंद करके भी चले गए हैं. 
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि तीन दिसम्बर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच समझौता हुआ था. सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिये 15 दिन का समय मांगा था मगर अब तीन महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है मगर समझौते पर अमल नहीं हुआ. 
उन्होंने बताया कि सरकार ने समझौते में कहा था कि बिजली कम्पनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा लेकिन इस व्यवस्था को बंद करके अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है. यह टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. 
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने देर शाम प्रेस कांफ्रेंस में हड़ताल को लेकर सख्त रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि संविदा पर कार्यरत बिजलीकर्मी अगर हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा. हड़ताल के मद्देनजर प्रदेश भर में अलर्ट घोषित किया गया है. 
मंत्री ने दावा किया कि कई बिजली संगठनों ने इस हड़ताल से खुद को अलग कर लिया है और बहुत से कर्मचारी काम करना चाहते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी ने बिजली कर्मचारियों को काम करने से रोका तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और यदि हड़ताल के दौरान कोई 'नुकसान' पहुंचाया गया तो रासुका के तहत भी कार्रवाई की जाएगी. 
अरविंद कुमार शर्मा ने कहा है कि हड़ताल से अगर जनता को परेशानी हुई तो सरकार हड़ताल कर रहे बिजलीकर्मियों पर आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगी. सरकार ने प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिये बंदोबस्त किये हैं. बिजली मंत्री ने कहा कि हड़ताल की घोषणा करने वाले संगठनों से सरकार लगातार बात कर रही है. आज भी दो घंटे तक बातचीत हुई मगर 'हठधर्मी' लोग बात सुनने को तैयार नहीं हैं. 
उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों की हड़ताल के समर्थन में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (NCCOEEE) के आह्वान पर देश भर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मियों ने प्रदर्शन किया.