ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ अपील पर आज SC करेगा सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी द्वारा अपील का उल्लेख करने के बाद मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
सुप्रीम कोर्ट वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग के माध्यम से कथित रूप से पाए गए शिवलिंग की उम्र निर्धारित करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति के वकील हुजेफा अहमदी ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपील लंबित रहते हुए आदेश पारित किया है। हुजेफा की दलीलें सुनने के बाद पीठ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति की आयु के निर्धारण के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश 12 मई को दिया है। इससे पहले सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी की दलीलों का संज्ञान लिया था और याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी
हालाँकि, मुसलमानों का कहना है कि यह 'वज़ू खाना' में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहाँ नमाज़ से पहले वुज़ू किया जाता है। कार्बन डेटिंग बहुत पुरानी वस्तुओं में कार्बन के विभिन्न रूपों की मात्रा को माप कर उनकी आयु की गणना करने की एक वैज्ञानिक विधि है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने 16 मई को पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई द्वारा एक सर्वेक्षण की अपील पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।
क्या है मुस्लिम पक्ष की मांग?
अहमदी ने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील लंबित है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर, ज्ञानवापी मस्जिद में मिली उस संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था, जिसके ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिली संरचना की कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण कराने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।
ज्ञानवापी मामला: मार्च 2021 में क्या हुआ था?
पूजा अधिनियम 1991 के महत्वपूर्ण स्थान, इसकी वास्तविकता की जांच करने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा लिया गया था। पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा जिसमें अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाया गया था।
ज्ञानवापी मामला: 2019 में क्या हुआ था?
यह मुद्दा तब फिर उठा जब रस्तोगी नाम के एक व्यक्ति ने वाराणसी जिला अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से याचिका दायर कर पूरे विवादित क्षेत्र के पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग की। याचिकाकर्ता ने याचिका में खुद को स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर का "अगला दोस्त" बताया।
1998 में मंदिर-मस्जिद विवाद पर ताजा मामला दर्ज:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर एक ताजा मामले में, यह दावा किया गया था कि मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद को दीवानी अदालत द्वारा अधिनिर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि कानून द्वारा इसकी अनुमति नहीं है। परिणामस्वरूप, उच्च न्यायालय ने 22 वर्षों के लिए निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी।