Madhya Pradesh: एमपी चुनाव में होगी डीके की एंट्री
आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को प्रदेश के नेताओं के साथ साथ देशभर के अन्य कांग्रेसी नेताओं का साथ मिलने वाला है। कांग्रेस के नए संकटमोचक बनकर उभरे डीके शिवकुमार को अब तक दक्षिण भारत के लोग बखूबी जानते थे। लेकिन आने वाले दिनों में डीके की एमपी की राजनीति में अहम भूमिका होने वाली है
कर्नाटक का मुद्दा सुलटने के बाद अब कांग्रेस पार्टी का फोकस मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर टिक गया है। कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले डीके शिवकुमार बहुत ही जल्द मध्यप्रदेश में नजर आने वाले हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के साथ चुनाव प्रबंधन का कामकाज देखेंगे। इसके अलावा यूपी के प्रमोद तिवारी और हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा भी एमपी में अपना डेरा जमाने वाले हैं। इन नेताओं के अलावा उत्तराखंड, हिमाचल और गुजरात के कांग्रेसी नेता भी चुनावी कामकाज के सिलसिले में मध्यप्रदेश रुख करने वाले हैं। इन सभी नेताओं को उन सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी, जहां कांग्रेस पिछले तीन से चार चुनावों में जीत नहीं सकी है। दूसरी तरफ एमपी कांग्रेस कर्नाटक की बेस्ट चुनावी प्रैक्टिस को प्रदेश में आजमाने की तैयारी कर रही है। पार्टी आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा पर हमले तेज करेगी। संभावना इस बात की है कि PAYCM पोस्टर कैंपेन का कोई नया वर्जन एमपी में देखने को मिलेगा।
12 जून से प्रियंका गांधी की रैली से चुनावी अभियान की होगी शुरुआत :कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर से रोड शो और आमसभा संबोधित कर विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रही हैं। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आमसभाओं को लेकर पीसीसी, एआईसीसी से समन्वय कर कार्यक्रम तैयार कर रही है। इस बारे में अभी प्रारंभिक औपचारिक चर्चा ही हुई है। राहुल गांधी और खड़गे के प्रदेश में जुलाई, अगस्त के बाद आगे चुनाव तक के प्रोग्राम तैयार होंगे। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छह जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर जिसमें सात साल पहले आंदोलनकारी किसानों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस दौरान कांग्रेस ने पिपल्यामंडी में किसानों की आमसभा का आयोजन किया है, इस सभा में वे पहुंच रहे हैं।
क्या है PayCM?
कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 40 परसेंट कमीशनखोरीका आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कई शहरों में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तस्वीर वाले ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिन पर ‘पेसीएम’ (PayCM Poster Campaign) लिखा था। पोस्टर्स में एक क्यूआर कोड दिया गया था, जिस पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का चेहरा बना था, और इसमें एक हेल्पलाइन नंबर भी था, जो कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए शुरू किया गया था.
आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को प्रदेश के नेताओं के साथ साथ देशभर के अन्य कांग्रेसी नेताओं का साथ मिलने वाला है। कांग्रेस के नए संकटमोचक बनकर उभरे डीके शिवकुमार को अब तक दक्षिण भारत के लोग बखूबी जानते थे। लेकिन आने वाले दिनों में डीके की एमपी की राजनीति में अहम भूमिका होने वाली है। मध्यप्रदेश के लोगों के लिए नेताओं के लिए डीके शिवकुमार का नाम नया नहीं है। क्योंकि साल 2020 में जब सिंधिया के बागी विधायकों ने बेंगलुरु के होटल में डेरा जमाया था, तब कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह इन नेताओं की मान-मनौव्वल करने और वापस लेने कर्नाटक पहुंचे थे। तब डीके शिवकुमार ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की मदद की थी। चुनाव के दौरान पूरे देश के कांग्रेस नेता मध्यप्रदेश में नजर आएंगे। इस दौरान उनके सभाएं और रोड शो भी होंगे। आने वाले दिनों में कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी प्रदेश में दौरा करेंगे। हालांकि इन सभी नेताओं के दौरे कब शुरू होंगे या यह कब से प्रचार का कामकाज संभालेंगे, इसे फिलहाल अंतिम रूप दिया है। जल्द ही सभी नेताओं की जिम्मेदारी तय हो जाएगी।
गुजरात से मोरवाड़िया, हिमाचल से कुलदीप राठौर को मिली इस सीटों की जिम्मेदारी
भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस इस बार विधानसभा की 230 में से 1-1 सीट पर फोकस कर रही है। इसलिए पार्टी ने चुनावी तैयारियों में राष्ट्रीय नेताओं को भी जिम्मेदारी सौंप दी है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल के बीच हुई चर्चा के बाद दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से मप्र आए चारों ऑब्जर्वर को एआईसीसी की सहमति से लगातार पांच बार से हार रही सीटों की जिम्मेदारी दी है।
दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा को भोपाल की जिम्मेदारी दी गई है। वे गोविंदपुरा, बैरसिया, हुजूर और नरेला, भोजपुर, बुदनी, आष्टा, सीहोर, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, सिलवानी, शमशाबाद और कुरवाई सीटों का फीडबैक लेकर प्रारंभिक तौर पर स्थानीय नेताओं और पीसीसी से चर्चा के बाद इन सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी रिपोर्ट देंगे। महाकौशल और विंध्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रदीप टम्टा को सौंपी गई है। जबकि ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटों में गुना, शिवपुरी समेत अन्य सीटें जिन पर कांग्रेस लगातार तीन से पांच चुनावों में हार रही है। इन सीटों की जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश के कुलदीप राठौर को दी गई है। गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष रहे अर्जुन मोरवड़िया को मालवा और निमाड़ की हार वाली सीटें दी गई हैं। इन सीटों में सारंगपुर, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, धार, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच और जाबद सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। इन 66 सीटों में से 40 सीटों पर पिछले तीन महीनों में पीसीसी चीफ कमलनाथ पहुंच चुके हैं और जिला पदाधिकारियों, मंडलम और सेक्टर प्रभारियों की बैठक ले चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ग्राउंड जीरो पर इन सीटों पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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