पुलिस अधिकारी मान रहे थे एक्सीडेंट का केस, 'मैसेज कर देना' बात को पकड़ कर कांस्टेबल ने साबित किया हत्या का केस

दो महीने बीत चुके थे. लोग शालू और उसके बुआ के बेटे राजू की मौत को एक्सीडेंट की घटना मानकर भूलने लगे थे. लेकिन दयाराम उस सुराग की तलाश में थे. उनको पता चला कि महेश ने पत्नी शालू से कहा था कि मन्नत पूरी करने के लिए उसे समोद मंदिर के 16 फेरे लगाने होंगे.

पुलिस अधिकारी मान रहे थे एक्सीडेंट का केस, 'मैसेज कर देना' बात को पकड़ कर कांस्टेबल ने साबित किया हत्या का केस

जयपुर के रहने वाले महेश चंद्र (36) और उनकी पत्नी शालू (32) की शादी साल 2015 में हुई थी. दो साल बाद उनको एक बेटी हुई. लेकिन घर में किलकिरियां गूंजने के साथ ही दोनों में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया. परेशान होकर शालू ने अपने मायके में रहने लगी. कोई रास्ता न निकलता न देख शालू ने महेश के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मुकदमा भी दर्ज कराया. पुलिस ने जांच की और महेश के खिलाफ चालान पेश कर दिया. शालू अपने मायके में ही थी.

अब इस कहानी का दूसरा पार्ट शुरू होता है जो बीते 5 अक्टूबर को शालू और उसके भाई मौत के रूप में आता है. शालू अपने चचेरे भाई के साथ बाइक से मंदिर दर्शन करने जा रही थी. रास्ते में एक एसयूवी बाइक को टक्कर मार देती है. हादसे में दोनों की मौत हो जाती है.  एसएचओ हरिपाल सिंह की अगुवाई में टीम मौके पर पहुंचती है एक्सीडेंट का केस दर्ज होता है और उसी नजरिए पुलिस आगे की कार्रवाई करने में जुट जाती है.

लेकिन कांस्टेबल दयाराम जब मौके पर टीम के साथ पहुंचे तो उनके मन में कुछ और ही सवाल उठ रहे थे. हादसे के वक्त रोड खाली और बाइक भी साइड में थी. फिर दोनों की मौत कैसे हुई. पुलिस जहां एक्सीडेंट मान रही थी तो कांस्टेबल दयाराम कड़ियां ढूंढने में लग गए.

दो महीने बीत चुके थे. लोग शालू और उसके बुआ के बेटे राजू की मौत को एक्सीडेंट की घटना मानकर भूलने लगे थे. लेकिन दयाराम उस सुराग की तलाश में थे. उनको पता चला कि महेश ने पत्नी शालू से कहा था कि मन्नत पूरी करने के लिए उसे समोद मंदिर के 16 फेरे लगाने होंगे.

दयाराम को शक तो हुआ लेकिन न तो सुराग मिला और न ही कोई कड़ी. दयाराम ने महेश की हर गतिविधि पर नजर रखनी शुरू कर दी. इस दौरान उनको पता चला कि शालू का हाल ही में महेश ने 1.90 करोड़ का बीमा करवाया था. ये इस केस की पहली कड़ी थी और बड़ा सवाल भी. जब दोनों के रिश्ते खत्म होने की कगार पर पहुंच गए थे तो महेश ने शालू का बीमा क्यों करवाया. इतना ही नहीं महेश उसका क्लेम पाने में जुट गया था.

इसके बाद दयाराम के शक के आधार पर पुलिस ने शालू और महेश की मोबाइल रिकॉर्डिंग भी निकलवा ली. जिसमें हादसे दिन वाले ही दोनों की आखिरी बातचीत थी. ये हैरान करने वाला था. महेश उसमें शालू से कहता है कि वो घर से मंदिर के लिए निकलने से पहले उसे मैसेज जरूर कर दे. पुलिस को ये भी पता लग गया कि वारदात के वक्त महेश शालू के घर के आसपास रहकर नजर भी रखे हुए था. जैसे ही शालू अपने चचेरे भाई के साथ निकली महेश ने इसकी जानकारी किसी को दी.

पुलिस के पास अब महेश को गिरफ्तार करने के पक्के सबूत थे. महेश अब सलाखों के पीछे था लेकिन अभी तक हादसा या हत्या ये साबित नहीं हो पाया था. लेकिन महेश ने पुलिस की पूछताछ में जो बताया वो किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं था. महेश के बयानों के आधार पर पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर मुकेश, सोनू  राकेश बैरवा को  भी दबोच लिया. 

अब इस पूरे कांड का असली सच सामने आ गया था. महेश ने मई में पत्नी शालू का 1.90 करोड़ का बीमा कराया था और पहली किश्त 29406 रुपए भरे थे. बीमा कराने के 4 महीने के बाद हत्या की साजिश रची. 10 लाख में हत्या की सुपारी दी गई. शालू के गहने गिरवी रखकर 5 लाख रुपये एडवांस के तौर पर क्रिमिनल मुकेश को दिए गए. बाकी बचा पैसा बीमा की रकम मिलने के बाद देना तय हुआ था. रची गई साजिश के मुताबिक शालू को मंदिर जाते वक्त उसके भाई के साथ इन अपराधियों ने अपनी सफारी कार से कुचल दिया.