अब मिलेगा राज्यकर्मियों को कैशलेस इलाज उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में संबद्ध निजी अस्पतालों में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मियों तथा उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। ऐसे निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च की सीमा हर साल प्रति लाभार्थी परिवार पांच लाख रुपये तक होगी।इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 2016 में संशोधन के प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट ने शनिवार को मंजूरी दे दी। इससे करीब 14 लाख कर्मचारी और 16 लाख पेंशनर्स को फायदा मिलेगा। इसे कैबिनेट ने शुक्रवार देर शाम मंजूरी दे दी है।
अब उत्तर प्रदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना लागू की जाएगी। इससे जिला अस्पताल के साथ अब चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में भी कर्मचारियों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इसी तरह चिन्हित निजी अस्पतालों में भी आयुष्मान की तर्ज पर पांच लाख तक का इलाज करा सकेंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 2016 में संशोधन के प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट ने शनिवार को मंजूरी दे दी। इससे करीब 14 लाख कर्मचारी और 16 लाख पेंशनर्स को फायदा मिलेगा। इसे कैबिनेट ने शुक्रवार देर शाम मंजूरी दे दी है।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में संबद्ध निजी अस्पतालों में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मियों तथा उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। ऐसे निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च की सीमा हर साल प्रति लाभार्थी परिवार पांच लाख रुपये तक होगी।
इसके तहत अब केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान सहित सभी चिकित्सा संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में भी कर्मचारी एवं पेंशनर्स को मुफ्त इलाज मिलेगा। अभी तक यह सुविधा सिर्फ जिला अस्पताल में थी। इसी तरह आयुष्मान योजना में शामिल प्राइवेट अस्पतालों में भी पांच लाख रुपये तक का उपचार मुफ्त मिलेगा। इससे अधिक बिल होने पर उसके प्रतिपूर्ति की व्यवस्था रहेगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना कर्मचारी एवं पेंशनर्स के लिए आधार बनेगी।
सरकारी वित्त पोषित अस्पतालों में लाभार्थियों को जरूरत के हिसाब से कैशलेस चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं होगी। सभी कर्मचारियों का स्टेट हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। इसी स्टेट हेल्थ कार्ड की सहायता से लाभार्थी को नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण वाले अस्पतालों के लिए अलग-अलग कार्पस फंड का प्रावधान किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग में यह कार्पस फंड 200 करोड़ और स्वास्थ्य विभाग में 100 करोड़ का होगा।