फिल्म 'द केरला स्टोरी' की रिलीज पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने किया इनकार
द केरल स्टोरी’ थिएटर में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म के साथ फिल्म निर्माता सुदिप्तो सेन और क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह ने ऐसी कहानी बयां करने की कोशिश की है. फिल्म 'द केरल स्टोरी' को लेकर घमासान जारी है. जहां एक तरफ मुस्लिम समुदाय फिल्म का विरोध कर रहा है तो दूसरी ओर राजनीति में भी फिल्म को लेकर हंगामा मचा हुआ है. 'द केरला स्टोरी' के निर्माता ने कहा कि टीज़र, जिसमें दावा किया गया है कि आईएसआईएस में 32,000 से अधिक महिलाओं की भर्ती की गई थी, को सोशल मीडिया से हटा दिया जाएगा।
द केरल स्टोरी’ थिएटर में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म के साथ फिल्म निर्माता सुदिप्तो सेन और क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह ने ऐसी कहानी बयां करने की कोशिश की है, जिसे देख आपका दिल दहल जाएगा. अदा शर्मा की 'द केरल स्टोरी', टीजर आने के बाद से ही चर्चा और विवाद का टॉपिक रही. केरल की लड़कियों का धर्म बदलवाकर, उन्हें ISIS के लिए रिक्रूट करने की करने की कहानी दिखाती इस फिल्म को लेकर हाल ही में काफी बवाल हुआ
फिल्म 'द केरल स्टोरी' को लेकर घमासान जारी है. जहां एक तरफ मुस्लिम समुदाय फिल्म का विरोध कर रहा है तो दूसरी ओर राजनीति में भी फिल्म को लेकर हंगामा मचा हुआ है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि सिनेमा जनमानस की अवधारणाओं को बदलने की बहुत बड़ी ताकत रखता है। अमेरिका और रूस ने अपनी अपनी सियासी विचारधारा को दुनिया भर में पोषित करने के लिए सिर्फ अपने अपने देशों के सिनेमा का ही नहीं बल्कि दुनिया भर में जहां जहां उन्हें उभरती अर्थव्यवस्थाएं दिखीं, वहां तक के सिनेमा को अपने हिसाब से घुमाया है। अब बारी भारत की है। भारत की अपनी विचारधारा क्या है, ये बात दुनिया को समझाने की जरूरत है। जरूरत उस पूरी नई पीढ़ी को भी समझाने की है, जिसके लिए प्यार पहली नजर का बुखार होता है। लेकिन, कई बार ये बुखार अपने पीछे एक ऐसा बीमार छोड़ जाता है जो न सिर्फ अपने परिवार को बल्कि आसपास के पूरे समाज को संक्रमित कर देता है। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर एजेंडा फिल्म होने के आरोप लगे हैं। आरोप लगा कि 30 हजार लड़कियों के धर्म परिवर्तन का आंकड़ा झूठा है। ये फिल्म कहानी चार युवतियों की है। तीन पाले के एक तरफ और चौथी दूसरी तरफ। लेकिन, अगर ये सच्ची कहानी किसी एक भारतीय युवती की भी है तो भी इसे दुनिया को दिखाया ही जाना चाहिए।
विवाद का पहला पहलु: लव जेहाद की सच्चाई के कई प्रमाण कई राज्यों से मिले हैं। फिर उसका एक्सटेंशन सच्चाई क्यों नहीं हो सकता? फ़िल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन का दावा है कि इस फ़िल्म की कहानी पर उन्होंने सात साल तक काम किया। पीड़ित लड़कियों से मिले। उनसे बात की। जिस तरह भारत का पश्चिमीकरण हुआ है। उसी तरह केरल के मुसलमानों का अरबीकरण हुआ है। यह केरल जाकर देखा जा सकता है। केरल में इस्लाम पर प्रवचन देने वालों की बहुत पूछ है। उनके बड़े बड़े पोस्टर , कट आउट फ़िल्मी सितारों की तरह लगे दिखते हैं। ज़ाकिर नाइक की तरह केरल में एम एम अकबर हैं। इन्हें केरल का ज़ाकिर नाइक कहा जाता है। इनके कई स्कूल हैं। जहां सलफी इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। जो छोटागुट कट्टर सुन्नी इस्लाम को मानता है, उसे सलफी मुस्लिम कहते हैं। सलफी इस्लाम चाहते है। सलफी देवबंदियों के क़रीब हैं। यहाँ मिस्र के इस्लामी स्कूल से प्रभावित अरबी माध्यम के स्कूल भी हैं।
केरल में पच्चास फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है। इतिहास का एमजीएस नारायण ने लिखा है,”अरब और खाड़ी देशों से लौटे लोग केरल की मुस्लिम आबादी में कट्टरता फैला रहे हैं।” काफ़ी मुस्लिम अपनी धार्मिक विचारधारा में कट्टर हो कर लौटते हैं।दाढ़ी पहले से लंबी होती है। मूँछ ग़ायब। कपड़े इस्लामी हो जाते हैं। कालीकट में तो में तो माहौल अरब देश जैसा लगता है। केरल मे अरबी खाने परोसने वाले बहुतेरे रेस्टोरेन्ट खुल गये हैं। यहाँ ग्यारहवीं व बारहवीं शताब्दी की तीन पुरानी मस्जिद हैं। उत्तरी केरल को मिनी अरब कहा जाता है। केरल में धर्म परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है, यहाँ इस्लाम धर्म में परिवर्तन कराने के लिए बाक़ायदा दो पंजीकृत संस्थाएँ हैं। तरबियातुल इस्लाम संस्था अस्सी साल पुरानी है। दूसरी संस्था ने सौ साल पूरे कर लिये हैं। इस संस्थान में औसतन एक दिन में एक धर्म परिवर्तन ज़रूर होता है। 70 फ़ीसदी लोग हिंदू से मुसलमान बनते हैं। पीएफआई धर्म परिवर्तन केंद्र चलाता है। तो घर वापसी के अभियान भी चलते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात में केरल के लोग बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं। यहाँ जितने भारतीय प्रवासी हैं, उनमें सबस ज़्यादा केरल के है। यूएई की अर्थव्यवस्था मेमलयाली भाषी की अहम भूमिका है। मलयाली भाषा का अख़बार ‘माध्यमम’ खाड़ी के देशों में भी छपता है । उन्नीस संस्करण में से 6 खाड़ी देशों से निकलते हैं। केरल केरल के मलयाली भाषी हर चैनल पर आधे घंटे का खाड़ी के देशों पर केंद्रित कार्यक्रम प्रसारित होता है।
दूसरा विवाद धर्मांतरण कर आईएसआईएस के लिए काम करने वाली महिलाओं की संख्या को लेकर के हैं। फ़िल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन गुप्ता के मुताबिक़ ये आँकड़े केरल के मुख्यमंत्री रहे ओमान चांडी के विधानसभा में दिये गये उस बयान से लिये गये हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2800-3200 लोगों का धर्मांतरण सालाना होता है। इस लिहाज़ से दस साल में बत्तीस हज़ार बैठता है। जबकि ऑल्ट न्यूज़ के फ़ैक्ट चेक में यह आँकड़ा 2667 पाया गया। केरल स्टेट इंटेलीजेंस के मुताबिक़ 2011-2015 के बीच 4975 लोगों का धर्मांतरण हुआ। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल दस से पंद्रह महिलाएँ आईएसआईएस ज्वाइन करती हैं। अगर किसी भी संख्या को स्वीकार कर लिया जाये तो भी केरल में अरब देशों से रिश्ते , अरब देशों जैसा बनता माहौल, खाडी देशों में केरल के तक़रीबन दस लाख लोगों के रोज़गार में लगे रहने, केरल में आईएसआईएस के यू ट्यूब चैनलों को सुनने/ देखने वालों की बढ़ती संख्या व धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं-पीएफआई,नीस ऑफ ट्रुथ,पीस एजुकेशन फ़ाउंडेशन और आईआरएफ की सक्रियता से तो इनकार किया नहीं जा सकता है। जो कुछ ‘द केरला स्टोरी’ में है, उसके बहुत से अंश लोकल अख़बारों में छपे हुए हैं। इस लिए इन्हें अब नई कसौटी की ज़रूरत नहीं है।
विवाद का दूसरा पहलू: फिल्म के आलोचकों ने इसे 'संघ परिवार' द्वारा 'प्रोपेगंडा ' कहा है, यह शब्द उन संगठनों को संदर्भित करता है जो हिंदू दक्षिणपंथी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तहत काम करते हैं। आलोचकों का मत है कि केरल की कहानी 'केरल के सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने' के उद्देश्य से बनाई गई है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि हिंदी फिल्म का ट्रेलर, पहली नज़र में, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने और राज्य के खिलाफ नफरत फैलाने के कथित उद्देश्य से "जानबूझकर निर्मित" प्रतीत होता है।उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों, अदालतों और गृह मंत्रालय द्वारा 'लव जिहाद' को खारिज किए जाने के बावजूद इसे दुनिया के सामने राज्य को अपमानित करने के लिए फिल्म के मुख्य आधार के रूप में केरल के संबंध में उठाया जा रहा है।
फिल्म पर कटाक्ष करने वाले नवीनतम राजनेता कांग्रेस नेता शशि थरूर हैं। कांग्रेस सांसद ने फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, 'यह आपकी केरल की कहानी हो सकती है। यह हमारी केरल की कहानी नहीं है।” कांग्रेस नेता वीडी सतीसन ने कहा, "ऐसी फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जो झूठा दावा करती है कि केरल में 32,000 महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित किया गया है और आईएस की सदस्य बनी हैं। किसी को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि सांप्रदायिकता का जहर उगलने से केरल को विभाजित किया जा सकता है।"
जानिए कैसी है ये फिल्म:
निर्देशक सुदिप्तो हमारे देश के सबसे ज्यादा साक्षर कहलाने वाले राज्य की भयावह वास्तविकता को चतुराई से पेश करते हैं. उनकी ये फिल्म देखने वालों को तब बेचैन कर देती है, जब ये दिखाया जाता है कि किस तरह से सभी धर्म की निर्दोष महिलाओं को कभी प्यार से तो कभी धमकी देकर इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है, तब फिल्म में दिखाया हुआ दर्द आपके दिल तक पंहुचा कर निर्देशक का विजन सफल होते हुए नजर आता है.
‘द केरल स्टोरी’ जैसे विषय को बड़े पर्दे पेश करना आसान नहीं था, लेकिन इस मामले में सुदिप्तो डिस्टिंक्शन के साथ पास हुए हैं. लेखक ने बड़ी खूबसूरती से डायलॉग लिखे हैं, श्रीलंका, सीरिया सब के ब्लास्ट में केरल के लड़के मिलते हैं, तब भी आपको साबूत चाहिए, जिसको खुद डर लगता है वो तुम्हारी रक्षा कैसे करता है, जैसे कुछ डायलॉग आपको हैरान कर देते हैं. अदा शर्मा फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। पहले शालिनी और फिर फातिमा के किरदार में उन्होंने फिल्म को एक तरह से अपने दोनों कंधों पर उठाए रखा है। केरल से ताल्लुक रखने वाली अपनी मां से मलयालम उन्हें घुट्टी में मिली ही है। वह परदे पर मलयालम बोलती भी कमाल की हैं। फिल्म ‘दिल से’ के बाद ये दूसरी हिंदी फिल्म है जिसमें मलयालम में गाने हैं और भाषा समझ में न आने के बावजूद सिर्फ अदा शर्मा के अभिनय और वीरेश श्रीवलसा के मधुर संगीत से ये गाना बहुत ही सुरुचिपूर्ण प्रभाव पैदा करने में सफल रहता है। फिल्म के रचनात्मक निर्देशक और निर्माता विपुल अमृतलाल शाह की इस बात के लिए दाद देनी चाहिए कि उन्होंने एक कठिन विषय पर फिल्म बनाते समय इसके कलाकारों के चयन में कोई समझौता नहीं किया है। और, उनकी पसंदीदा अदाकारा अदा शर्मा को इस फिल्म में अभिनय के लिए आने वाले समय में पुरस्कार मिलने ही मिलने हैं।