अम्लीय और क्षारीय भोजन क्या है- क्या है इसके प्रभाव- कैसे जिया जाता है स्वस्थ निरोगी जीवन
श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है करई आहार शाक फल कंदा ! सुमिरही ब्रह्म सच्चिदानंदा !!
कोरोना जैसी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों से बचना है तो ... शरीर को रोग मुक्त रखना है तो... शरीर को एल्कलाइन/ क्षारीय बनाइए
जीवन शैली तथा खान-पान परिवर्तन करके शरीर की एसिडिक कंडीशन को एल्कलाइन में बदलने से अनेक रोगों से मुक्ति मिल सकती है. कोई भी भोजन/ खाद्य पदार्थ, फल कितना अम्लीय या क्षारीय है इसकी जानकारी पीएच वैल्यू से होती है ! इसे लिटमस पेपर अर्थात पीएच पेपर द्वारा ज्ञात कर सकते हैं ! हमारे शरीर में जो तत्व पाए जाते हैं उन सबकी पीएच वैल्यू अलग-अलग होती है. हमारे शरीर का सामान्य पीएच 7.35 से 7.41 के बीच होती है ! हमारे शरीर व रक्त में अम्ल और क्षार दोनों होते हैं ! हमारा भोजन भी दोनों तरह का होता है ! स्वस्थ रहने के लिए इनमें संतुलन आवश्यक है. हमारे शरीर के लिए अम्लता घातक है अम्लता कम करने के लिए 80% क्षारीय आहार लेना चाहिए! *भोजन से रक्त का निर्माण होता है * आजकल ज्यादातर लोगों के रक्त का पीएच 6 से 6.5 के बीच होता , इसी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटी है ! शरीर में दर्द का बढ़ना ,बुखार आना, यहां तक कि कैंसर जैसे घातक बीमारियां बढ़ रही हैं.
अम्लीय आहार- मनुष्य द्वारा रसोई घर में पकाए गए, तले ,भुने सभी मीठी ,नमकीन खाद्य पदार्थ अम्लता बढ़ाते हैं.
क्षारीय आहार- प्रकृति द्वारा प्रदत्त फल, सब्जियां ,अंकुरित अनाज ,भीगे मेवे आदि सभी पाचन होने पर शरीर में क्षारीय प्रभाव उत्पन्न करते हैं! *अम्लता बढ़ने के कारण शरीर के सभी अंग त्वचा, सहित समय से पूर्व बूढ़े, रोग ग्रस्त हो रहे हैं ! छोटी छोटी आयु में हार्टअटैक, ब्लड प्रेशर ,डायबिटीज, अत्याधिक वजन बढ़ना ,किडनी एवं हड्डी के दर्द आदि भयंकर रोग पनप रहे हैं ! अपने भोजन में 80% क्षारीय , 20% अम्लीय खाद्य पदार्थ शामिल करें.
डॉक्टर ऑटो वर बर्ग नोबेल पुरस्कार विजेता 1931 के शोध कार्य से स्पष्ट हुआ. "कोई भी रोग हो ,चाहे कैंसर भी ,एल्कलाइन वातावरण में पनप नहीं सकता.
"No disease including cancer can exist in an alkaline environment "
*Dr Otto Warburg,* Noble Prize Winner, 1931 .
प्राण ऊर्जा का संरक्षण - स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है ! रक्त की क्षारीयता को प्राण ऊर्जा भी कहा गया है ! हमारी सभी शारीरिक ,मानसिक, अभ्यास, प्रकृति और शक्ति इसी क्षारीयता पर निर्भर करती हैं. आपकी जानकारी के लिए प्रस्तुत है क्षारीय एवं अम्लीय खाद्य पदार्थ.
क्षारीय खाद्य पदार्थ- हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, अजवाइन पत्ती ,सलाद पत्ता, भूमिगत जड ाली साग जैसे गाजर, चुकंदर, शकरकंद, शलजम एवं अन्य सब्जियां जैसे बंदगोभी, ब्रोकली ,कद्दू, शिमला मिर्च, बींस ,फलियों की तरह की साग, अदरक ,लहसुन, प्याज, खीरा आदि !
फलों में - नींबू, संतरा ,मौसमी ,माल्टा ,अनन्नास, नारियल, नारियल पानी और अन्य मौसमी फल जैसे सेब , नाशपाती ,तरबूज ,कीवी ,खुबानी !
मेवा में - बादाम, किशमिश, अंजीर ,खजूर , आदि इसके अतिरिक्त बेकिंग सोडा, ग्रीन टी, सेंधा नमक आदि !
अम्लीय खाद्य पदार्थों से बचें - जिसमें डिब्बाबंद खाद्य सामग्री ,कॉर्नफ्लेक्स, ओट्स , रिफाइंड शक्कर, चॉकलेट,कॉफी ,चाय ,अल्कोहल ,पास्ता ,ब्रेड ,चावल, कोल्ड ड्रिंक , सभी प्रकार की पक्की हुई दालें, मूंगफली, पिस्ता ,काजू, सिंथेटिक मीठे खाद्य पदार्थ, पनीर ,मक्खन, पका हुआ भोजन ,चासनी में पके फल एवं मिठाइयां ,उबला हुआ दूध ,मैदा, टाटा नमक, तंबाकू ,वनस्पति घी ,नशीले पेय पदार्थ, तले खाद्य पदार्थ ,बेकरी के बने पदार्थ ,अंडा ,मांस आदि !
क्षारीय खाद्य पदार्थ / एल्कलाइन डाइट के लाभ -
1, क्षारीय खाद्य पदार्थों से हड्डियों का विकास अच्छा होता है
2, मांस पेशियों को स्वस्थ्य बनती हैं
3, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
4, सभी प्रकार के शरीर में पनपने वाले इन्फेक्शन रुकते हैं
5, शरीर का वजन संतुलित रहता है
6, शरीर में विटामिन का अवशोषण अच्छी तरह से होता है
7, विभिन्न प्रकार के साल्ट की कमी पूरी होती है
8, पूरे पाचन तंत्र को सही स्थिति में काम करने में सहायता मिलती है
प्राकृतिक भोजन करने वालों को अम्ल /क्षार की समस्या नहीं होती ! यह समस्या केवल पके हुए भोजन करने वालों में होती है
श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है-
करई आहार शाक फल कंदा !
सुमिरही ब्रह्म सच्चिदानंदा !!
प्राचीन समय में ऋषि ,मुनियों का आहार प्राकृतिक भोजन ही था जिससे वे स्वस्थ, तेजस्वी और तपस्वी सिद्ध हो सके वर्तमान जीवन शैली में इसी दिशा में बढ़ने की, अपनी भारतीय परंपराओं को अपनाने की, जीवन सुरक्षा हेतु आवश्यकता है